Tuesday, November 30, 2010

शौक

जानता हु महफुज है साहिल पर ज़िन्दगी , पर मुझे तो शौक है लहरो पर सवार होने का ।

Thursday, September 30, 2010

खलिश

खलिश इस बात कि नहीं कि उसे ज़िन्दगी में नहीं पाया ,
कसक इस बात कि है वो कुछ लम्हों के लिए ज़िन्दगी में क्यों आया ?

Monday, September 13, 2010

ख्वाहिशे

यो तो ज़िन्दगी में कई ख्वाहिशे है, पर जो सबसे खूबसूरत है उसका नाम तुम हो .

Saturday, September 11, 2010

मुलाकात

खुद को बनाए रखने में कुछ इस तरह उलझे है आजकल,
कि खुद से मुलाकात किये अरसा बीत गया .

Wednesday, July 28, 2010

दिल तो बच्चा है जी.

मंजिलो की ख्वाहिश में निकला था घर से, कमबख्त रास्तो से दिल लगा बैठा .

होसला

कदम जैसे ही बढाए मैंने होसलो के साथ , मंजिले खुद मुझे तलाशने लगी ।

Saturday, June 19, 2010

न जाने वो खुद को यो क्यों सजा देता है ? हर बार मुझसे मिलने पर बस वो मुस्कुरा देता है

Saturday, May 8, 2010

वो सहमा क्यों है ?

वो सहमा क्यों है ?

जिंदा था जब, तो सब अकेला छोड़ गए मुझे ,
अब मेरी मौत पर ये लोगो का मजमा क्यों है ?
उसने ही दोए थे ये बेइंतेहा दर्द जब,
तो चोट के ये निशाँ देखकर वो सहमा क्यों है ?

पीड़ा

कुछ बाते कुछ मुलाकाते जो हमारे तुम्हारे बीच हो न सकी ,
काटी मैंने तुम्हारी चिट्ठियों के संग कितनी राते, तुम भी वहा ठीक से सो न सकी.
बहते रहे झरने मेरी आँखों से यहाँ हरदम
पर तुम दुनिया के डर से खुल कर रो भी न सकी.

उम्मीद


बड़ी देर से पलको पर ख्वाब कोई थमा सा है
राहे वफ़ा पर कोई खड़ा थका सा है
कब से बंद करके बैठे थे दरवाज़े खिड़किया अंधेरो में हम
लेकर रोशनी हसरतो की होकर दरारों से कोई बड़ा सा है