Saturday, May 8, 2010

वो सहमा क्यों है ?

वो सहमा क्यों है ?

जिंदा था जब, तो सब अकेला छोड़ गए मुझे ,
अब मेरी मौत पर ये लोगो का मजमा क्यों है ?
उसने ही दोए थे ये बेइंतेहा दर्द जब,
तो चोट के ये निशाँ देखकर वो सहमा क्यों है ?

पीड़ा

कुछ बाते कुछ मुलाकाते जो हमारे तुम्हारे बीच हो न सकी ,
काटी मैंने तुम्हारी चिट्ठियों के संग कितनी राते, तुम भी वहा ठीक से सो न सकी.
बहते रहे झरने मेरी आँखों से यहाँ हरदम
पर तुम दुनिया के डर से खुल कर रो भी न सकी.

उम्मीद


बड़ी देर से पलको पर ख्वाब कोई थमा सा है
राहे वफ़ा पर कोई खड़ा थका सा है
कब से बंद करके बैठे थे दरवाज़े खिड़किया अंधेरो में हम
लेकर रोशनी हसरतो की होकर दरारों से कोई बड़ा सा है