Saturday, February 8, 2014

हथेलियाँ

कुछ शहर अलग कुछ डगर अलग
कुछ रीति अलग कुछ रिवाज़ अलग
कुछ गलिया अलग कुछ मोहल्ले अलग
कुछ तौर अलग कुछ तरीके अलग
पर एक चीज़ हमेशा एक सी हर जगह
मंदिर के अन्दर लम्बवत और मंदिर के बाहर क्षेतीज हथेलियाँ !


Tuesday, January 14, 2014

अब तो बंद भी कर दो रेत पर मेरा नाम लिखना

अब तो बंद भी कर दो रेत पर मेरा नाम लिखना. तुम सोचती हो लहरे आकर मिटा ही तो देगी कुछ देर बाद. लेकिन ऐसा नहीं है वो लहरे अपने साथ ले जाती है मेरे नाम की छाप और बन कर बादल जब बरसती है मेरे शहर में तो हर एक बूँद से तुम मेरा नाम पुकारती सुनाई देती हो. मै पागल सा हो जाता हु अक्सर ऐसी बारिशो में. इसलिए कहता हु अब तो बंद भी कर दो रेत पर मेरा नाम लिखना.