Wednesday, July 28, 2010

दिल तो बच्चा है जी.

मंजिलो की ख्वाहिश में निकला था घर से, कमबख्त रास्तो से दिल लगा बैठा .

1 comment:

  1. मंजिलो की ख्वाहिश में निकला था घर से, कमबख्त रास्तो से दिल लगा बैठा .
    होसला अब भी है मंजिलो को पाने का, मगर रास्तो को लांघने का साहस अब न बचा |
    जैसे जैसे मंजिलो के पास जा रहे है वैसे ही दिल डूब रहा रास्तो के बिछड़ने से,
    अकेला आज भी जिंदगी की जद में हु , बस रास्तो ने सहारा दिया ,
    अब मंजिलो के करीब जाकर भी अकेला, दिल बेचारा रास्तो के दर्मिया रह गया |
    निकले थे कुछ ख्वाब लेकर मंजिलो की तलाश में, आज मंजिल सामने है पर खुशिया काफूर है ,
    गम आज भी रास्तो से बिछड़ने का है ,
    गर यही है मेरी मंजिल ,तो ऐ मेरे खुदा , रास्तो को भी साथ रहने दे तु मेरे क्योकि दिल तो मेरा आज भी उन्ही की क़ैद में है |

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