आप सभी को गणतंत्र दिवस की बधाई .....भाई १५ अगस्त २६ जनवरी और क्रिकेट मैच इसी दिन हमारा देशप्रेम कुछ ज्यादा परवान चढ़ता है . भारतवासी होने के नाते सविंधान ने मुझे भी स्वतंत्रता दे रखी है अपने विचार व्यक्त करने के लिए तो भैया हम हो गए शुरू ......वैसे किसी ने सही लिखा है कि "कुछ तो बात है हम में कि हस्ती मिटती नहीं हमारी " कुछ तो बात है कि भ्रष्टाचार के नए नए रिकॉर्ड बनाने वाले लोग आज भी अपनी कुर्सी पर बैठे बैठे मुस्कुरा रहे है और हमारे देश कि अस्सी प्रतिशत आम जनता किसी अवतार के अवतरण के इंतज़ार मई आस लगाए हुए है . कभी कभी कोई क्रांतिकारी विचार जुगनू कि भाँती चमक उठता है और हम उसे सूरज समझ लेते है और खुश हो जाते है कि अब सवेरा होने को है . पर जुगनू कि तरह ही वो रोशनी भी लुप्त हो जाती है . कोई भ्रष्टाचार के बड़े बड़े आंकड़े के मुद्दे उठाता है और हम खुश हो जाते है अब तो परिवर्तन आएगा पर समय के चक्के में वो मुद्दा भी धुल कि तरह उड़ जाता है . पहले लोग आंकड़े भूलते है , जो कि अरबो करोडो में होते है फिर मुद्दे . अब क्या करे भैया उन्हें भी तो बाल बच्चे पालने है और अगर वो भी इन बातो में अटक कर रह गए तो फिर देश का सकल घरेलु उत्पाद का क्या होगा जिसे बढाने के लिए ये अस्सी प्रतिशत लोग दिन रात मेहनत करते है. मुझे तो इतने अरबो रुपये कि संपत्ति और घोटालो कि बात सुनकर या पढ़ कर बड़ी ख़ुशी होती है भाई आखिर हमारे देश में इतना पैसा तो है ...अब ये बात अलग है कि इसी देश में लोग भूख से मर जाते है. ये तो हुए अस्सी प्रतिशत जनता की बात बाकी बचे २० में से १० प्रतिशत वो जो बोलने में कम करने में ज्यादा विश्वास रखते है और अपने तरीके से विरोध प्रदर्शन करते है.बचे १० में से ५ प्रतिशत हम जैसे लोग जो खुद तो कुछ नहीं करते बस राख में से अंगारे ढूँढते रहते है और आखिर के ५ प्रतिशत वो जिनके तो मजे है वो जिनके महलों में कभी अँधेरा नहीं होता क्योकि उजाले पर उन्होंने हक जमा रखा है . जिनके होठो पर भूख , गरीबी जैसे शब्द तो होते है पर उनका अर्थ या मर्म समझने का दिल नहीं , जो आज झंडा वंदन कर जन गण मन गायेंगे तो जरुर पर निभायेंगे नहीं ..........चलिए हम भी गणतंत्र दिवस मानते है भाई सरकार ने एक दिन की छुट्टी जो दे रखी है......और अंत में अगर आपको बात कड़वी लगी है तो आपके लिए है बूंदी के लड्डू जो जन गण मन के बाद बटने वाले है.
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