Wednesday, August 26, 2009

कल रात

तेरे ख्वाब मुझे सताते रहे कल रात भर।
बीते पल ठंडी हवा के साथ आते जाते रहे कल रात भर।
नमी यो ही नहीं है हवा में आज,में और चाँद आंसू बहाते रहे रात भर।
खुद को महसूस कर रहा था तन्हा बहुत,टिमटिमाते सितारे अपनापन जताते रहे कल रात भर।
तुझे भूल पाना तो था नहीं बस में मेरे,इसलिए हम खुद को खुद से भुलाते रहे कल रात भर.

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