Saturday, May 8, 2010

उम्मीद


बड़ी देर से पलको पर ख्वाब कोई थमा सा है
राहे वफ़ा पर कोई खड़ा थका सा है
कब से बंद करके बैठे थे दरवाज़े खिड़किया अंधेरो में हम
लेकर रोशनी हसरतो की होकर दरारों से कोई बड़ा सा है

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